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राजस्थान में सरकारी नौकरी के मोह से बाहर निकलने की जरूरत: रोजगार समाधान पर गहराई से विश्लेषण

जयपुर : राजस्थान में सरकारी नौकरियों के प्रति युवाओं की ललक और इसके समानांतर निजी क्षेत्र की सीमित पहुंच—यह राज्य के रोजगार परिदृश्य की सबसे बड़ी दुविधा है। हाल ही में राज्य सरकार द्वारा 53,000 चतुर्थ श्रेणी पदों की भर्ती की घोषणा की गई है, लेकिन इसके साथ एक बड़ा सवाल फिर खड़ा हो गया है—क्या सिर्फ सरकारी नौकरियों से सभी को रोजगार मिल सकता है?


भर्ती प्रक्रिया हो समयबद्ध

भर्ती प्रक्रिया में देरी और अदालती अड़चनों ने पहले से ही युवाओं का भरोसा कमजोर किया है।
एल-2 शिक्षक भर्ती 2022 इसका उदाहरण है, जो अभी भी न्यायिक प्रक्रिया में फंसी हुई है।

समाधान?

हर भर्ती के साथ एग्ज़ाम डेट, रिजल्ट और जॉइनिंग डेट की भी घोषणा हो। इससे उम्मीदवारों को समयसीमा का स्पष्ट संकेत मिलेगा।


सरकारी नौकरियों की सीमा और उद्योगों की भूमिका

सरकार हर किसी को नौकरी नहीं दे सकती। इसीलिए राइजिंग राजस्थान समिट जैसे आयोजनों से निजी निवेश को आकर्षित करना जरूरी है। लेकिन सिर्फ एमओयू साइन करना काफी नहीं।

जरूरी है कि कंपनियों से गारंटी सिक्योरिटी मनी ली जाए ताकि वो धरातल पर काम शुरू करने के लिए बाध्य हों।


गांवों में भी लगे रोजगार मेले

अक्सर रोजगार मेलों का आयोजन सिर्फ शहरों तक सीमित रहता है।
लेकिन गांवों के युवा, जो केवल सरकारी नौकरी को ही करियर मानते हैं, उन्हें वैकल्पिक रोजगारों के बारे में जानकारी मिलनी चाहिए।

इसके लिए गांवों के स्कूलों में स्किल बेस्ड गाइडेंस और जागरूकता अभियान ज़रूरी हैं।


बेरोज़गार बैंक—एक व्यावहारिक समाधान

राजस्थान बेरोजगार यूनियन का सुझाव है कि सरकार "बेरोज़गारों का बैंक" बनाए, जिसमें हर युवा का पंजीकरण हो।

इससे जब किसी कंपनी को लोगों की ज़रूरत हो, तो सरकार डेटाबेस के जरिए युवाओं को जोड़ सकती है।

साथ ही सरकार इससे न्यूनतम वेतन कानून का पालन करवा सकती है, जिससे निजी क्षेत्रों में शोषण पर लगाम लगेगी।


सरकारी और निजी नौकरी के बीच संतुलन जरूरी

सरकारी नौकरियों में डीए (महंगाई भत्ता), सुरक्षा, और स्थायित्व है। जबकि निजी क्षेत्र में ये सुविधाएं नहीं होतीं, इसीलिए युवा सरकारी नौकरी के पीछे भागते हैं।

लेकिन अगर निजी नौकरियों में पारदर्शिता, वेतन सुरक्षा और सम्मान सुनिश्चित हो, तो युवाओं का झुकाव वहां भी बढ़ेगा।


निष्कर्ष

राजस्थान में रोजगार नीति को केवल सरकारी भर्तियों तक सीमित रखने की जगह अब समय आ गया है कि निजी क्षेत्र, स्किल डेवलपमेंट और डेटा-ड्रिवन रोजगार मॉडल को अपनाया जाए। तभी जाकर बेरोजगारी की जड़ें कमजोर होंगी, और युवाओं को भविष्य की दिशा मिलेगी।

Written By

Monika Sharma

Desk Reporter

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