जयपुर : राजस्थान में 237 करोड़ रुपये के कथित विज्ञापन घोटाले मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस मनमोहन की बैंच ने राज्य सरकार की अपील पर सुनवाई की, जिसमें गहलोत सरकार के कार्यकाल में हुए इस घोटाले की जांच को जारी रखने पर जोर दिया गया।
यह मामला गहलोत सरकार के कार्यकाल के दौरान सरकारी विज्ञापनों के वितरण में हुई कथित वित्तीय अनियमितताओं से जुड़ा है। आरोप है कि सरकारी फंड का गलत इस्तेमाल कर विज्ञापनों के लिए 237 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई, जिसमें अनियमितताएं और घोटाले के संकेत मिले।
राजस्थान सरकार ने इस घोटाले की जांच को जारी रखने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। राज्य सरकार का कहना है कि यह एक गंभीर वित्तीय अनियमितता का मामला है और इसकी निष्पक्ष जांच आवश्यक है।
याचिकाकर्ताओं ने घोटाले की जांच को लेकर सरकार पर राजनीतिक दुर्भावना का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि यह मामला केवल राजनीतिक लाभ के लिए उठाया जा रहा है और इसमें साक्ष्यों की कमी है।
सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद मामले में अगली सुनवाई की तारीख निर्धारित की है। न्यायालय ने कहा कि घोटाले से जुड़े सभी पक्षों को निष्पक्ष रूप से सुना जाएगा।
237 करोड़ रुपये का यह कथित विज्ञापन घोटाला गहलोत सरकार के दौरान चर्चा में आया था। इसमें सरकारी विज्ञापनों के अनुचित वितरण और भुगतान में गड़बड़ी के आरोप लगे थे। इसके बाद राज्य सरकार ने मामले की जांच के आदेश दिए थे, लेकिन बाद में इसे सुप्रीम कोर्ट तक ले जाया गया।
घोटाले के खुलासे के बाद से राज्य की राजनीतिक गलियारों में हलचल मची हुई है। विपक्षी दलों ने गहलोत सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है, जबकि सरकार ने जांच को न्यायपूर्ण और निष्पक्ष बताने की बात कही है।
सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर आगे की सुनवाई की तारीख जल्द ही घोषित की जाएगी, और घोटाले की जांच में नए साक्ष्यों और गवाहों की भूमिका पर भी विचार किया जाएगा।
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