जयपुर : में आयोजित सात दिवसीय प्रशिक्षण शिविर 'लोक संगीत शाला' का समापन हुआ, जिसमें राजस्थान की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को एक मंच पर जीवंत किया गया। इस शिविर का आयोजन ब्लूसिटी वॉल, पूर्णिमा ग्रुप ऑफ कॉलेजेज और जयपुर विरासत फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में किया गया।
कार्यक्रम में 25 अनुभवी कलाकारों ने 86 प्रशिक्षु कलाकारों को मार्गदर्शन दिया और उन्होंने राजस्थानी लोक संगीत और गायन की पारंपरिक शैलियों का प्रदर्शन किया। इन प्रस्तुतियों में पधारो म्हारे देश, घूमर, मांड, पपिहरा और अन्य प्रसिद्ध लोक धुनें शामिल थीं, जिनकी दर्शकों ने भरपूर सराहना की।
लोक संगीत शाला का उद्देश्य राजस्थान की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित और संवर्धित करना है। आयोजकों ने बताया कि यह प्रशिक्षण शिविर न केवल कलाकारों को अपनी प्रतिभा निखारने का अवसर प्रदान करता है, बल्कि दर्शकों को भी राजस्थानी संगीत की विविधता से परिचित कराता है।
ब्लूसिटी वॉल, पूर्णिमा ग्रुप ऑफ कॉलेजेज और जयपुर विरासत फाउंडेशन के सहयोग से आयोजित इस शिविर में प्रतिभागियों को राजस्थानी संगीत की बारीकियों से अवगत कराया गया। प्रशिक्षुओं ने अपने हुनर को और निखारा और मंच पर अपनी प्रस्तुतियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
जयपुर का शाला महोत्सव राजस्थानी लोक संगीत और सांस्कृतिक धरोहर को सहेजने और संवारने की एक सफल पहल साबित हुआ। कलाकारों की प्रस्तुतियों ने न केवल दर्शकों का मनोरंजन किया, बल्कि उन्हें राजस्थान की सांस्कृतिक विविधता से भी रूबरू कराया।
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