राजस्थान हाईकोर्ट : ने राज्य के कोचिंग संस्थानों में स्टूडेंट्स द्वारा हो रही आत्महत्या की घटनाओं पर कड़ा रुख अपनाया है। चीफ जस्टिस एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस मुकेश राजपुरोहित की खंडपीठ ने सरकार पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि 2019 से कोचिंग रेगुलेशन कानून की बात हो रही है, लेकिन अब तक इसे लागू नहीं किया गया है।
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि जब 2019 में ही कोचिंग रेगुलेशन कानून लाने की बात कही गई थी, तो अब तक इसे क्यों नहीं लागू किया गया? कोर्ट ने इस मामले में सरकार से विस्तृत रिपोर्ट भी मांगी है।
इस साल 2025 में राजस्थान के कोचिंग हब में 14 छात्रों ने आत्महत्या कर ली है। ये मामले मुख्यतः कोटा और जयपुर जैसे कोचिंग हब में सामने आए हैं, जहां पढ़ाई का दबाव और मानसिक तनाव छात्रों को घातक कदम उठाने पर मजबूर कर रहा है।
हाईकोर्ट ने चिंता व्यक्त की कि राज्य में कोचिंग संस्थानों पर कोई ठोस नियंत्रण नहीं है। छात्रों पर पढ़ाई का अत्यधिक दबाव, अनुचित समय सारणी और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान न देना, इस समस्या के मुख्य कारण हैं।
कोचिंग संस्थानों के लिए स्पष्ट रेगुलेशन बनाए जाएं।
छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देने के लिए काउंसलिंग सेंटर स्थापित हों।
माता-पिता और छात्रों को जागरूक किया जाए कि परिणाम से अधिक महत्वपूर्ण उनका मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य है।
कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह जल्द से जल्द कोचिंग रेगुलेशन कानून पर ठोस निर्णय ले और छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करे। साथ ही, कोचिंग संस्थानों पर नियमित निगरानी रखी जाए।
राजस्थान हाईकोर्ट ने कोचिंग छात्रों की आत्महत्याओं पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। अब देखना यह है कि राज्य सरकार इस दिशा में क्या ठोस कदम उठाती है
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