नई दिल्ली। 'हाउडी मोदी' से 'नमस्ते ट्रम्प' तक, दुनिया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की गहरी दोस्ती देखी। दोनों ने मंच साझा किया, एक-दूसरे की तारीफों के पुल बांधे, लेकिन जब असल रिश्तों की परीक्षा हुई, तो ट्रम्प ने भारत को पाकिस्तान के बराबर तौल दिया।
यह विवाद तब शुरू हुआ जब ट्रम्प ने भारत और पाकिस्तान को एक ही तराजू में रख दिया। अमेरिका में एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद का समाधान दोनों देशों को मिलकर करना चाहिए। यह बयान उस समय आया जब भारत आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर घेर रहा था।
ट्रम्प और मोदी की दोस्ती का प्रदर्शन बड़े-बड़े आयोजनों में देखा गया। 'हाउडी मोदी' कार्यक्रम में ट्रम्प ने मोदी के साथ मंच साझा किया, वहीं 'नमस्ते ट्रम्प' में मोदी ने ट्रम्प का भव्य स्वागत किया। लेकिन जब व्यापार और कूटनीति की बात आई, तो ट्रम्प ने कई बार भारत को झटका दिया।
हाल ही में एक और विवाद सामने आया, जब अमेरिका ने भारत से आयातित iPhone पर टैक्स लगाने का मुद्दा उठाया। भारत ने अपने बाजार को विदेशी कंपनियों के लिए खोला, लेकिन ट्रम्प प्रशासन ने भारतीय उत्पादों पर टैरिफ बढ़ा दिए।
रेसिप्रोकल टैरिफ (पारस्परिक शुल्क) के मुद्दे पर भी ट्रम्प ने भारत को किसी प्रकार की रियायत नहीं दी। उन्होंने भारत पर आयात शुल्क बढ़ाने का आरोप लगाया और कहा कि भारत अमेरिकी उत्पादों पर ज्यादा शुल्क लगाता है।
ट्रम्प के इन कदमों ने भारत-अमेरिका संबंधों पर नकारात्मक प्रभाव डाला। जहां भारत ने कई अमेरिकी उत्पादों पर शुल्क घटाए, वहीं ट्रम्प प्रशासन ने भारतीय उत्पादों पर टैरिफ बढ़ा दिए।
ट्रम्प और मोदी की दोस्ती को लेकर सवाल उठने लगे हैं। क्या यह दोस्ती सिर्फ मंचों तक सीमित थी? क्या दोनों नेताओं का व्यक्तिगत संबंध कूटनीतिक रिश्तों पर हावी हो गया? या यह सिर्फ राजनैतिक दिखावा था?
'हाउडी मोदी' और 'नमस्ते ट्रम्प' जैसे आयोजनों में दिखी दोस्ती असल में कितनी गहरी थी, यह सवाल अब उठने लगा है। भारत और अमेरिका के बीच कूटनीतिक रिश्ते कितने मजबूत हैं, यह समय ही बताएगा।
All Rights Reserved & Copyright © 2015 By HP NEWS. Powered by Ui Systems Pvt. Ltd.