छत बेचने पर रोक: बिल्डर अब इमारत की छत का केवल 25% हिस्सा ही निजी टैरिस के रूप में बेच या निर्माण कर सकेंगे। बाकी 75% हिस्सा फ्लैटधारकों के साझा उपयोग के लिए रहेगा।
पार्किंग में विजिटर्स का अधिकार: इमारत की कुल पार्किंग का 50% हिस्सा विजिटर्स के लिए आरक्षित रखना होगा।
आंशिक पूर्णता और अधिवास प्रमाणपत्र: अब बिल्डरों को आंशिक पूर्णता प्रमाणपत्र (Partial Completion Certificate) और आंशिक अधिवास प्रमाणपत्र (Partial Occupancy Certificate) प्राप्त करने की सुविधा होगी।
ग्रीन बिल्डिंग नियम: दस हजार वर्गमीटर से अधिक क्षेत्र वाले प्रोजेक्ट ग्रीन बिल्डिंग के दायरे में आएंगे।
बिल्डिंग की ऊंचाई सीमा: प्लिंथ की अधिकतम ऊंचाई 1.2 मीटर निर्धारित की गई है।
बेटरमेंट लेवी का प्रावधान: पूरी राशि जमा कराने तक बिल्डरों को 15% अतिरिक्त निर्मित क्षेत्र की इकाइयां गिरवी रखनी होंगी।
अभी तक कई फ्लैटधारक इमारत की छत पर जाने से वंचित थे, क्योंकि बिल्डरों ने पूरी छत को निजी टैरिस के रूप में बेच दिया था। इससे बुजुर्गों को सर्दी में धूप लेने और बच्चों को बारिश में खेलने जैसी सुविधाओं से वंचित रहना पड़ता था। नए बायलॉज में यह स्पष्ट कर दिया गया है कि छत का केवल 25% हिस्सा ही निजी टैरिस के रूप में बेचा जा सकेगा।
अगर किसी भवन निर्माण में बिल्डर और स्थानीय निकाय के बीच विवाद होता है तो राज्य सरकार द्वारा गठित समिति इसका समाधान करेगी। इस समिति में निम्नलिखित सदस्य होंगे:
अध्यक्ष: यूडीएच (नगर विकास एवं आवास) विभाग के प्रमुख सचिव
सदस्य: स्वायत्त शासन विभाग के निदेशक, मुख्य नगर नियोजक, जेडीए आयोजन निदेशक
विशेष आमंत्रित सदस्य: इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ आर्किटेक्ट, राजस्थान चैप्टर के अध्यक्ष/सचिव
नए बायलॉज के तहत पार्किंग क्षेत्र का 50% हिस्सा विजिटर्स के लिए आरक्षित रहेगा।
यह नियम स्टूडियो, अपार्टमेंट, व्यावसायिक परिसर, रेस्टोरेंट, गेस्ट हाउस, चिकित्सा संस्थान, कोचिंग सेंटर आदि पर लागू होगा।
इससे विजिटर्स को पार्किंग के लिए परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा।
अगर बिल्डर को अतिरिक्त निर्मित क्षेत्र (बीएआर) का लाभ लेना है तो उसे बेटरमेंट लेवी की पूरी राशि जमा कराने तक उस क्षेत्र की 15% इकाइयां संबंधित निकाय के पास गिरवी रखनी होंगी।
पूरी राशि जमा होने के बाद ही बिल्डर को यह इकाइयां वापस मिलेंगी।
यह प्रावधान ग्राहकों के हितों की सुरक्षा करेगा।
दस हजार वर्गमीटर से बड़े सभी प्रोजेक्ट अब ग्रीन बिल्डिंग की श्रेणी में आएंगे।
ग्रीन बिल्डिंग से पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
ऐसे प्रोजेक्ट्स को ऊर्जा दक्षता और पर्यावरण संरक्षण के लिए विशेष छूटें मिलेंगी।
प्लिंथ की ऊंचाई अधिकतम 1.2 मीटर रखी जाएगी।
पहले बिल्डिंग की ऊंचाई पर कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं था, जिससे विवाद की स्थिति बनती थी।
नए बिल्डिंग बायलॉज पर जयपुर निवासी राकेश शर्मा का कहना है, "यह बदलाव फ्लैटधारकों के अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए जरूरी था। अब हम अपनी इमारत की छत पर बिना किसी रोक-टोक के जा सकेंगे।"
उदयपुर की निवेदिता मिश्रा ने कहा, "पार्किंग का 50% हिस्सा विजिटर्स के लिए आरक्षित करने का निर्णय बेहद सराहनीय है। इससे हमारे मेहमानों को पार्किंग की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा।"
राजस्थान सरकार द्वारा लागू किए गए नए बिल्डिंग बायलॉज फ्लैटधारकों के अधिकारों को सुरक्षित और संरक्षित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। इन नियमों से फ्लैटधारकों को छत पर अधिकार, विजिटर्स के लिए पार्किंग, विवाद समाधान और ग्रीन बिल्डिंग जैसी सुविधाएं मिलेंगी।
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