जयपुर। मार्च 2024 में राजस्थान सरकार ने राजस्थान इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (RUHS) को रिम्स (राजस्थान इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज) बनाने की घोषणा की थी, लेकिन 14 महीने बाद भी इस प्रक्रिया में कोई खास प्रगति नहीं हो पाई है। नतीजतन, आज तक सुपरस्पेशलिटी के एक भी विभाग की शुरुआत नहीं हो सकी है, जिससे स्वास्थ्य सेवा और चिकित्सा शिक्षा दोनों प्रभावित हो रही हैं।
RUHS के वरिष्ठ डॉक्टरों ने सरकार की इस योजना पर असंतोष जताया है। उनका कहना है कि वे सरकारी नियंत्रण में आना नहीं चाहते क्योंकि इससे उनकी स्वतंत्रता पर असर पड़ेगा। डॉक्टरों का मानना है कि बिना उनकी सहमति और सहयोग के रिम्स का विकास संभव नहीं होगा।
मार्च 2024 में घोषणा के बाद से ही रिम्स परियोजना को लेकर कई प्रशासनिक और तकनीकी अड़चनें सामने आई हैं। पिछले 9 महीनों में कोई भी सुपरस्पेशलिटी विभाग स्थापित नहीं हो सका है, जिससे छात्रों और मरीजों दोनों को परेशानी हो रही है। यह स्थिति राजस्थान के मेडिकल क्षेत्र के लिए चिंता का विषय बन चुकी है।
सुपरस्पेशलिटी विभागों के न होने के कारण जटिल बीमारियों का इलाज सीमित हो गया है। मरीजों को अब दूसरे राज्यों के संस्थानों का रुख करना पड़ रहा है। इस वजह से स्थानीय स्वास्थ्य सेवाओं पर अतिरिक्त दबाव बना हुआ है।
प्रशासनिक स्तर पर रिम्स परियोजना के क्रियान्वयन में देरी से डॉक्टरों के बीच असंतोष गहरा गया है। वे चाहते हैं कि प्रशासन उनकी चिंताओं को समझे और उनके सहयोग से ही रिम्स को सशक्त बनाया जाए।
राजस्थान सरकार की महत्वाकांक्षी योजना RIMS को साकार करने में अब तक हुए देरी से चिकित्सा क्षेत्र में समस्याएं बढ़ी हैं। प्रशासन और चिकित्सकों के बीच बेहतर संवाद और सहयोग से ही यह परियोजना सफल हो पाएगी।
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