बीकानेर : के पलाना में एक विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीकानेरी भुजिया और रसगुल्लों का ज़िक्र करते हुए कहा, “जब बीकानेर की बात होती है तो सबसे पहले ज़ुबान पर इसका भुजिया और रसगुल्ले का ज़ायका आता है।” उन्होंने कहा कि राजस्थान सरकार इसके विस्तार और ब्रांडिंग पर काम कर रही है।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि बीकानेरी भुजिया की शुरुआत एक राजा की फरमाइश से हुई थी? चलिए जानते हैं एक हलवाई की रचनात्मकता और बीकानेर की मिट्टी में पले-बढ़े स्वाद की ऐतिहासिक यात्रा को।
बीकानेर की स्थापना 1482 में राव बीकाजी ने की थी। लेकिन भुजिया की शुरुआत हुई 1877 में, जब महाराजा डूंगर सिंह बीकानेर के राजा बने। उन्होंने एक दिन बीकानेर के अग्रवाल हलवाई परिवार से कुछ अनोखा बनाने की फरमाइश की। इस पर गंगा बिशन अग्रवाल नाम के हलवाई ने मोठ और मूंग की दाल के आटे से एक नायाब, बारीक और तीखी नमकीन तैयार की।
जब यह पहली बार महाराजा को परोसी गई, तो उनके मुंह से बेसाख़्ता “वाह” निकल पड़ा। यहीं से इस नमकीन का नाम पड़ा ‘भुजिया’।
गंगा बिशन अग्रवाल ने महाराजा की अनुमति से इस स्वादिष्ट नमकीन को बीकानेर के बड़ा बाजार में अपनी दुकान से आम जनता तक पहुँचाया। धीरे-धीरे भुजिया लोगों के रोज़ाना के खानपान का हिस्सा बन गई।
यहीं से गंगा बिशन का नाम ‘हल्दीराम’ पड़ा, और एक छोटे से व्यवसाय ने 9000 करोड़ रुपये के अंतरराष्ट्रीय ब्रांड की नींव रखी।
आटे की खासियत:
भारत के ज़्यादातर इलाकों में नमकीन चने के बेसन से बनती है, जबकि बीकानेरी भुजिया मोठ या मूंग के आटे से बनाई जाती है।
मसालों का कमाल:
इसमें मिलाए जाने वाले देसी मसाले और बीकानेर की जलवायु इसे ऐसा अनोखा ज़ायका देते हैं जो दोहराया नहीं जा सकता।
बीकानेर की आबो-हवा:
बीकानेर के बाहर कई नमकीन निर्माता इसी रेसिपी को अपनाने की कोशिश कर चुके हैं, लेकिन वही स्वाद नहीं ला सके—even when they used बीकानेर का पानी!
छोटे स्तर से शुरू हुई बीकानेरी भुजिया आज 9000 करोड़ रुपये के वैश्विक कारोबार में तब्दील हो चुकी है। हल्दीराम, बीकाजी और कई स्थानीय ब्रांड्स ने इसे भारत की पहचान बना दिया है।
बीकानेर की भूमि न केवल वीरों की भूमि है, बल्कि ज़ायके की भी जननी है। पीएम मोदी का भाषण सिर्फ राजनीतिक संदेश नहीं, बल्कि स्थानीय संस्कृति, स्वाद और पहचान के गौरव का मंच था। भुजिया आज सिर्फ एक नमकीन नहीं, राजस्थान की सांस्कृतिक विरासत और उद्यमिता की मिसाल बन चुकी है।
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