वाराणसी (काशी)। यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा, जिसे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है, 12 दिन तक वाराणसी के मुस्लिम इलाकों में घूमती रही। पुलिस और खुफिया एजेंसियों की जांच में सामने आया है कि वह मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में ‘अस्सलाम वालेकुम’ कहकर लोगों से मेलजोल बढ़ाती थी और व्लॉगिंग के बहाने संदिग्ध गतिविधियों में संलिप्त थी।
जानकारी के अनुसार, ज्योति ने वाराणसी आने पर काशी विश्वनाथ मंदिर के पास एक गेस्ट हाउस में कमरा बुक किया था। वहां से वह रोजाना निकलकर शहर के अलग-अलग मुस्लिम इलाकों जैसे मडोई, पीलीकोठी, लल्लापुरा, बजरडीहा और आदमपुर में घूमती थी।
गुप्त एजेंसियों की जांच में यह भी सामने आया है कि वह लोगों से बातचीत के दौरान ऑडियो और वीडियो रिकॉर्डिंग करती थी, जिनका उद्देश्य सामान्य व्लॉगिंग नहीं, बल्कि सूचनाएं एकत्रित करना बताया जा रहा है।
एजेंसियों को संदेह है कि वह इन जानकारियों को ऑनलाइन माध्यम से विदेश भेजती थी, खासकर पाकिस्तान स्थित हैंडलर्स को। सोशल मीडिया प्रोफाइल्स और बैंक ट्रांजेक्शन की जांच में कुछ विदेशी लिंक भी सामने आए हैं।
ज्योति के खिलाफ आधिकारिक रूप से जासूसी और राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने की धाराओं में केस दर्ज किया गया है। फिलहाल उसे रिमांड पर लेकर पूछताछ की जा रही है। अधिकारियों का कहना है कि यह मामला सिर्फ एक यूट्यूबर तक सीमित नहीं, बल्कि एक बड़े नेटवर्क का हिस्सा हो सकता है।
घटना के बाद से वाराणसी और अन्य संवेदनशील शहरों में खुफिया सतर्कता बढ़ा दी गई है। प्रशासन ने स्थानीय लोगों से भी अपील की है कि यदि किसी अजनबी व्यक्ति की गतिविधि संदिग्ध लगे तो तुरंत सूचना दें।
ज्योति मल्होत्रा का मामला यह दिखाता है कि डिजिटल मीडिया और यूट्यूब जैसे माध्यमों का इस्तेमाल अब सिर्फ मनोरंजन तक सीमित नहीं रह गया है। इसका दुरुपयोग भी गंभीर स्तर तक हो सकता है, खासकर जब इसमें विदेशी खुफिया एजेंसियों की भागीदारी हो। ऐसे मामलों में चौकसी और सतर्कता सबसे बड़ा हथियार है।
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