जयपुर | राजस्थान की सरकारी स्वास्थ्य प्रणाली इस समय गंभीर अव्यवस्था के दौर से गुजर रही है। राज्य में 250 से अधिक डॉक्टर 'Awaiting Posting Orders' (APO) की स्थिति में हैं। यानी ये सभी डॉक्टर सरकारी वेतन और भत्ते तो ले रहे हैं, लेकिन सरकार ने इन्हें अब तक कार्यस्थल आवंटित नहीं किया है।
राज्य के ग्रामीण और उप-स्वास्थ्य केंद्रों पर डॉक्टरों की भारी कमी है। मरीजों को इलाज के लिए बड़े अस्पतालों या निजी क्लीनिक की ओर रुख करना पड़ रहा है, जिससे गरीब और दूरदराज के लोग सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं।
"सरकारी डॉक्टर घर बैठे हैं और अस्पताल डॉक्टरों के इंतज़ार में खाली हैं,"
ऐसा कहना है जयपुर के स्वास्थ्य अधिकार कार्यकर्ता अनिल चौधरी का।
करीब 30 जिलों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) खाली पड़े हैं।
कुछ CHC (सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र) में एक भी विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं है।
ग्रामीण क्षेत्र में रोजाना OPD में सैकड़ों मरीज बिना इलाज लौटते हैं।
APO में रखे गए कई डॉक्टरों ने सरकार से बार-बार आग्रह किया है कि उन्हें जल्द से जल्द पोस्टिंग दी जाए।
"हम मरीजों की सेवा के लिए तैयार हैं, लेकिन हमें डेस्क पर बैठने तक की अनुमति नहीं है।"
– नाम न छापने की शर्त पर एक APO डॉक्टर
स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि डॉक्टरों की पोस्टिंग को लेकर फाइलें लंबित हैं। प्रशासनिक अदला-बदली और चुनावी आचार संहिता के कारण देरी हो रही है।
सरकारी अस्पतालों की बदहाल स्थिति से निजी अस्पतालों में मरीजों की भीड़ बढ़ गई है। इसका सीधा असर मरीजों की जेब पर पड़ रहा है। कई गरीब परिवार इलाज के भारी खर्च के चलते कर्ज तक में डूब रहे हैं।
स्वास्थ्य संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री से मांग की है कि APO डॉक्टरों को प्राथमिकता के आधार पर पोस्टिंग दी जाए।
इसके अलावा PHC और CHC की स्थिति पर निरीक्षण कर डॉक्टरों की संख्या बढ़ाई जाए।
All Rights Reserved & Copyright © 2015 By HP NEWS. Powered by Ui Systems Pvt. Ltd.