जयपुर: जयपुर में सोमवार को जैन धर्म के सोलहवें तीर्थंकर भगवान शांतिनाथ के तीनों कल्याणक – जन्म कल्याणक, तप कल्याणक और मोक्ष कल्याणक के भव्य समारोह आयोजित किए गए। यह धार्मिक आयोजन जयपुर के 225 से अधिक दिगंबर जैन मंदिरों में एक साथ संपन्न हुआ।
शांतिनाथ भगवान के कल्याणक के अवसर पर सभी मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना की गई और भक्तजन श्रद्धा के साथ भाग लिया। इस अवसर पर मोक्ष का प्रतीक माने जाने वाले निर्वाण लाडू का भी विधिपूर्वक समर्पण किया गया, जो जैन धर्म में मोक्ष की प्राप्ति का प्रतीक है।
भगवान शांतिनाथ जैन धर्म के सोलहवें तीर्थंकर हैं, जिनका जीवन त्याग, तपस्या और मोक्ष की कहानी से भरा हुआ है। उनके जन्म, तपस्या और मोक्ष कल्याणक के पर्व को जैन धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है।
तीर्थंकर भगवानों के कल्याणक उनके जीवन के महत्वपूर्ण आध्यात्मिक पड़ाव होते हैं, जिनसे जैन अनुयायियों को आध्यात्मिक प्रेरणा मिलती है।
जयपुर के प्रमुख जैन मंदिरों जैसे केसरवास वास मंदिर, बापू मंदिर, रामगढ़ मंदिर, और कई अन्य मंदिरों में विशेष पूजा समारोह का आयोजन हुआ। मंदिरों में विशेष मंत्रोच्चार, भजन-कीर्तन और धर्मोपदेश दिए गए।
भक्तों ने मोक्ष कल्याणक के प्रतीक निर्वाण लाडू को बड़े उत्साह से चढ़ाया। यह लाडू मोक्ष की प्राप्ति और आध्यात्मिक शुद्धि का प्रतीक है।
इस आयोजन का उद्देश्य जैन धर्म की शिक्षाओं को जन-जन तक पहुँचाना और धार्मिक संस्कारों को जीवंत बनाए रखना है। साथ ही, यह सभी को अहिंसा, सत्य, तपस्या और मोक्ष की ओर प्रेरित करता है।
जयपुर में इस भव्य आयोजन ने जैन समुदाय के सौहार्द और धार्मिक समर्पण को और मजबूत किया है।
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