जयपुर। जवाहर कला केंद्र (JKK) में इन दिनों गर्मियों की छुट्टियों को रचनात्मकता से जोड़ने वाला जूनियर समर कैंप चल रहा है, जिसमें बच्चों की कलात्मक प्रतिभा को निखारने के लिए विविध गतिविधियां आयोजित की जा रही हैं।
यह समर कैंप सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि भारतीय कला, संस्कृति और संगीत की परंपरा से नई पीढ़ी को जोड़ने का भी एक सशक्त माध्यम बन रहा है।
तबला वादन वर्ग में बच्चों ने अपनी अंगुलियों के जादू से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। बारीकी से ताल, मात्रा और संगत को समझते हुए बच्चों ने जिस आत्मविश्वास से प्रस्तुति दी, वह सराहनीय रही। प्रशिक्षकों का कहना है कि बच्चों में संगीत के प्रति गहरी समझ और जिज्ञासा देखी जा रही है।
संगीत शिक्षक पं. राजेश शर्मा ने बताया:
"आज के बच्चे बहुत तेजी से सीख रहे हैं। उनके भीतर लय और ताल को समझने की स्वाभाविक क्षमता है।"
तबले के साथ-साथ हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायन, भजन, लोकगीत और रचनात्मक गायन का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। बच्चे सुरों के माध्यम से भावनाओं की अभिव्यक्ति सीख रहे हैं और मंच पर आत्मविश्वास से प्रदर्शन कर रहे हैं।
विशेषज्ञों द्वारा वर्कशॉप में रागों की पहचान, स्वर-साधना और ताल की समझ को सरल तरीके से समझाया जा रहा है।
जेकेके प्रशासन का उद्देश्य केवल कला प्रशिक्षण तक सीमित नहीं, बल्कि बच्चों को भारतीय सांस्कृतिक विरासत से जोड़ना है।
यहां चल रहे अन्य वर्गों में कथक, पेंटिंग, क्राफ्ट, रंगमंच, योग आदि की कार्यशालाएं भी शामिल हैं, जिससे बच्चों के समग्र विकास पर जोर दिया जा रहा है।
अभिभावकों की उपस्थिति और सहभागिता ने बच्चों का उत्साह दोगुना कर दिया है। कई अभिभावकों ने बताया कि उनके बच्चों में पिछले कुछ दिनों में आत्मविश्वास, अनुशासन और रचनात्मक सोच में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
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