नई दिल्ली/जयपुर। पाकिस्तान के साथ हुए सीजफायर समझौते को लेकर देश की सियासत में नया बवाल खड़ा हो गया है। पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने केंद्र सरकार से चार सीधे सवाल पूछे हैं। उनका कहना है कि देश की सुरक्षा से जुड़े ऐसे अहम फैसलों पर पारदर्शिता जरूरी है।
गहलोत ने कहा कि सीजफायर के बावजूद आतंकी घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं और सरकार अब तक जनता को यह स्पष्ट नहीं कर पाई है कि सीजफायर किन शर्तों पर हुआ और अब तक दोषी आतंकवादियों को क्यों नहीं पकड़ा गया।
सीजफायर किन शर्तों पर हुआ?
सीजफायर की प्रक्रिया में विपक्ष को क्यों नहीं लिया गया भरोसे में?
सीजफायर के बावजूद आतंकी गतिविधियां क्यों जारी हैं?
अब तक आतंकियों को गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया?
इससे पहले कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने भी जम्मू-कश्मीर में सीजफायर को लेकर केंद्र सरकार पर सवाल खड़े किए थे। उन्होंने आरोप लगाया कि "सरकार ने पाकिस्तान के दबाव में आकर यह फैसला किया है, जिससे सैनिकों और आम नागरिकों की सुरक्षा खतरे में पड़ रही है।"
गहलोत के बयान पर बीजेपी प्रवक्ता गौरव भाटिया ने पलटवार करते हुए कहा:
"कांग्रेस पाकिस्तान की भाषा बोल रही है। जो सीजफायर सीमा पर शांति और जवानों की सुरक्षा के लिए हुआ, उसे लेकर राजनीति करना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।"
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए यह मुद्दा एक "सुरक्षा बनाम राजनीति" की बहस को जन्म दे सकता है। खासतौर पर जब सीमा पर शांति और आतंकी घटनाएं चुनावी मुद्दा बनती जा रही हैं।
गहलोत ने केंद्र सरकार से यह भी मांग की कि वह:
सीजफायर की शर्तों को सार्वजनिक करे
संसद में इस मुद्दे पर चर्चा कराए
सीमा पर तैनात जवानों के लिए ठोस रणनीति अपनाए
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