पीएम मोदी ने अपने पोस्ट में लिखा:
“कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी से बात कर उन्हें उनकी ऐतिहासिक चुनाव जीत पर बधाई दी। हम G7 समिट में शामिल होने के निमंत्रण को स्वीकार करते हैं और द्विपक्षीय संबंधों को नई दिशा देने को लेकर आशावादी हैं।”
भारत और कनाडा के रिश्ते जस्टिन ट्रूडो के कार्यकाल के दौरान बेहद तनावपूर्ण रहे। ट्रूडो ने कनाडा में खालिस्तानी गतिविधियों पर नरमी दिखाई, जिस पर भारत ने नाराजगी जताई थी।
2023 में एक कनाडाई सांसद द्वारा भारत पर लगाए गए आरोपों ने विवाद को और बढ़ा दिया था। इसके बाद भारत ने अपने कई राजनयिक कनाडा से वापस बुला लिए थे।
मार्क कार्नी, जो पहले बैंक ऑफ कनाडा और बैंक ऑफ इंग्लैंड के गवर्नर रह चुके हैं, आर्थिक और कूटनीतिक मामलों में संतुलित नजरिया रखने वाले नेता माने जाते हैं।
उनकी जीत को कनाडा की विदेश नीति में संभावित बदलाव का संकेत माना जा रहा है।
भारत 2019 से लेकर अब तक 5 बार G7 समिट में शामिल हो चुका है, हालांकि वह इसका सदस्य नहीं है।
भारत को बतौर स्पेशल गेस्ट आमंत्रित किया जाता है और G7 मंच पर भारत की भूमिका अब वैश्विक मामलों में निर्णायक मानी जा रही है।
विशेषज्ञों का मानना है कि
मार्क कार्नी के कार्यकाल में भारत और कनाडा के संबंध फिर से सामान्य हो सकते हैं।
G7 समिट में पीएम मोदी की उपस्थिति इस संबंध को मजबूत करने का पहला अवसर हो सकती है।
यदि खालिस्तानी तत्वों पर कनाडा सख्ती दिखाता है, तो भारत भी व्यापार और छात्र वीजा जैसे मुद्दों पर नरमी दिखा सकता है।
भारत और कनाडा के रिश्तों में अब एक नई शुरुआत की संभावना नजर आ रही है। जहां एक तरफ G7 समिट में भारत की भागीदारी वैश्विक मंच पर उसकी मजबूत उपस्थिति को दर्शाएगी, वहीं दूसरी ओर यह दौरा भारत-कनाडा संबंधों को पुनर्जीवित करने की दिशा में एक बड़ा कदम हो सकता है।
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