जोधपुर: विकास प्राधिकरण (जेडीए) में एक बड़े भ्रष्टाचार और धांधली का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। वर्ष 2010 में विधिवत रूप से निरस्त किए गए भूमि के पट्टों को बैकडोर से, यानी गुपचुप तरीके से, दोबारा जारी कर दिया गया। यह गंभीर अनियमितता तब उजागर हुई जब शिकायत लोकायुक्त कार्यालय तक पहुंची और उनकी जांच में जेडीए अधिकारियों की मिलीभगत सामने आई।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, इस पूरे मामले में जेडीए अधिकारियों ने पुराने तथ्यों को छिपाने और दोषी अधिकारियों की सूची लोकायुक्त को न देकर जांच को प्रभावित करने का भी प्रयास किया।
क्या है पूरा मामला?
सूत्रों के अनुसार, यह मामला उन भूखंडों से जुड़ा है जिनके पट्टे वर्ष 2010 में किसी कारणवश रद्द कर दिए गए थे। नियमों के अनुसार, एक बार रद्द किए गए पट्टों को दोबारा जारी नहीं किया जा सकता या इसके लिए एक विशेष प्रक्रिया का पालन करना होता है। लेकिन, जेडीए के कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों ने नियमों को ताक पर रखकर, इन रद्द पट्टों से संबंधित पुरानी फाइलों को दबा दिया और उसी भूमि के लिए नई फाइलें तैयार कर दीं। इन्हीं नई फाइलों के आधार पर उन भूखंडों के पट्टे दोबारा जारी कर दिए गए, जो पहले निरस्त किए जा चुके थे। यह स्पष्ट रूप से एक सुनियोजित तरीके से किया गया भ्रष्टाचार है।
लोकायुक्त जांच में खुलासे
इस मामले की शिकायत जब लोकायुक्त कार्यालय पहुंची, तो उन्होंने इसकी गंभीरता को समझते हुए विस्तृत जांच शुरू की। लोकायुक्त कार्यालय की शुरुआती जांच में ही यह चौंकाने वाला तथ्य सामने आया कि जेडीए अधिकारियों ने न केवल पट्टे अवैध रूप से जारी किए, बल्कि जांच को बाधित करने के लिए महत्वपूर्ण जानकारी भी छिपाई। विशेष रूप से, लोकायुक्त द्वारा दोषी अधिकारियों की सूची मांगे जाने के बावजूद जेडीए द्वारा वह जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई, जिससे यह संदेह और गहरा गया कि इसमें बड़े स्तर पर मिलीभगत है।
जेडीए अधिकारियों पर गंभीर आरोप
इस मामले ने जोधपुर जेडीए की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह आरोप लग रहे हैं कि जेडीए के अंदरूनी सूत्रों की मिलीभगत के बिना इतनी बड़ी धांधली संभव नहीं थी। यह मामला उन तमाम लोगों के लिए चिंता का विषय है जो जेडीए से पारदर्शिता और नियम-कायदों के पालन की उम्मीद करते हैं।
लोकायुक्त कार्यालय द्वारा इस मामले की गहन जांच जारी है। उम्मीद है कि जल्द ही इस धांधली में शामिल सभी दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों के नाम सामने आएंगे और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। यह मामला जोधपुर के रियल एस्टेट सेक्टर में भी चिंता का विषय बन गया है, क्योंकि इस तरह की अनियमितताएं भूमि सौदों में निवेशकों का विश्वास कम कर सकती हैं।
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